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12 Mar 2017 · 1 min read

** विश्वास मुझपे ना कर **

इतना भी विश्वास मुझपे ना कर कि तूं धोखा खा जाये
इतना भी उधार मुझपे ना कर कि क़र्ज उतरा ना जाये
बहुत खूबियां है तुझमे और बहुत कमजोरियां है मुझमे
कौशिश करता हूं बहुत इस आदत को सुधारा ना जाये ।
?मधुप बैरागी

समझ नहीं आता जिंदगी
इतनी जिद क्यूँ करती है
जीने के तमाम रास्ते रोककर
जीने की कसम देती है ।।
?मधुप बैरागी
हम रोज नयी कविता गढ़ते हैं
क्या दिल को कभी पढ़ते हैं
गढ़ सकते अगर दिल को तो
रोज दिल तोड़ पुनः गढ़ते हम ।।
?मधुप बैरागी
दिल के जज़्बात अब किससे कहूं
ग़म-ए-हालात अब किससे कहूं
कोई तो समझे अब मुझको यारोँ
अब बिन मौसम बरसात किस्से कहूं।।
?मधुप बैरागी

19 7 16
जिंदगी चाहे तो अब मुझको ना आराम दे
जिंदगी जीने के वास्ते थोड़ा तो विश्राम दे
मत बन तूं क्रूर इतनी कंस के कारगाह सी
अब उठने से पहले थोड़ा तो चैन से सोने दे।।
?मधुप बैरागी

Language: Hindi
1 Like · 599 Views
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