विश्वास नहीं डिगने देना
भूल तुम्हारी है गर समझे परिवर्तन की आहट है
ये तो मात्र नियंता के मन की पीड़ा अकुलाहट है
यूपी के जनता की सुन लो कैसी करुण कहानी है
न तो सर पर छप्पर है न बिजली है न पानी है
बूढ़ी आँखों में आँसू का एक समंदर छोड़ गए
रोजगार की खातिर बच्चे अपना ही घर छोड़ गए
ध्यान तुम्हें यूपी पर अपना लगातार देना होगा
यूपी वालों को यूपी में रोजगार देना होगा
मजहबी फसादों का अंतिम ये बसंत हो गया मोदी जी
जातिवाद की राजनीति का अंत हो गया मोदी जी
परिवारवाद करने वालों को ठोकर मारी चोट दिया
जाति धर्म को भूल के सबने खुलकर तुमको वोट दिया
कभी वोट न डाला जिसने घर की बूढ़ी माई थी
मगर तुम्हारी खातिर वो मतदान केन्द्र पर आई थी
मर रही चेतना को आकर के इक झटके में जगा गई
कल्पवृक्ष विश्वास का अपने बटन दबाकर लगा गई
न था जिनका जनाधार उनके बिगड़े दिन बीत गए
लहर चली ऐसी कि ननकउवा बड़कउवा जीत गए
अपने जननायक को जनता ने अच्छे से ताड़ लिया
तुमने जब भी माँगा है यूपी ने छप्पर फाड़ दिया
तुमने पत्थर माँगा था पर सारा पर्वत दे डाला
जनता ने उम्मीद से बढ़कर तुमको बहुमत दे डाला
अस्तित्व मिटाकर अनाचार का तार-तार करना होगा
भ्रष्टाचार की जड़ पर तुमको अब प्रहार करना होगा
जन-मन में धोखे का कभी एहसास नही जगने देना
तुम्हें कसम है मोदी जी विश्वास नहीं डिगने देना