—- विश्वगुरु —-
—विश्वगुरु—
संघर्ष यदि है जीवन में तो,
युद्ध बड़ा ही लड़ना होगा।
मरने से पहले जीवन में,
कुछ ना कुछ तो करना होगा।
इतिहास गढ़ेंगे ख़ुद अपनी,
नभ से ऊँची थाती होगी।
देखेगी दुनिया उस दिन, जब,
अपनी चौड़ी छाती होगी।
जब धर्म यज्ञ की धर्म ध्वजा
जन जन के घर में फहरायेंगे।
जब देश के बूढ़े व जवान
मिल जन गण मन को गायेंगे।
जिस रोज हृदय से दोष दूर
स्व – मन विशुद्ध हो जायेगा।
उस रोज देखना भारत यह
पुनः विश्वगुरुs हो जायेगा।
—✍️सूरज राम आदित्य