*विश्वकप की जीत – भावनाओं की जीत*
हार जीत से महत्वपूर्ण
होती हैं भावनाएं
कर देती है हमें भाव विभोर
जब भी कुछ ऐच्छिक फल पाएं
क्रिकेट मैच पहली बार
नहीं जीते हम
लेकिन इस बार ही हुई
खिलाड़ियों की आंखें नम
इसी विश्वकप में हमने
बहुत से मैचों में विजय पाई
हर चैनल ने थोड़ी देर खबर भी चलाई
लेकिन आंसू नहीं आए
तब तो किसी की आंखों में
था नहीं इतना आवेश
तब तो किसी की बातों में
किसी ने ज़्यादा ख़ुशी भी
नहीं मनाई तब
खबर जब जब जीत की
थी आई जब
लेकिन आज जब हम
विश्वकप जीत गए
पा गए मंज़िल को
थे जिसे पहले अधूरा छोड़ गए
सभी की भावनायें
जागृत हो गई है आज
संपूर्ण भारत मानों
दिवाली मना रहा हो आज
किसी के चेहरे पर हंसी है
किसी की आंखों से
ख़ुशी के आंसू बह रहे हैं
कोई मिल रहे गले
कोई पटाखे चला रहे हैं
एक सौ चालीस करोड़ लोगों की
भावनायें है चरम पर आज
छोटा बड़ा, अमीर गरीब
बच्चा बूढ़ा, महिला पुरुष
सब बेहद बेहद खुश है आज
है उत्सव का माहौल चारों ओर
दिख नहीं रहा भीड़ का दूसरा छोर
इन भावनाओं ने ही दिया है
इस नायब उत्सव को जन्म आज
वरना ये रात भी नहीं है अलग
पिछले कल की रात से आज।