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2 Jun 2024 · 1 min read

विश्राम …

विश्राम …

मैं क्या जानूँ राम कहाँ है।
मेरा अंतिम धाम कहाँ है।
पाप पुण्य की गठरी ढोती –
साँसों का विश्राम कहाँ है।

सुशील सरना

1 Like · 80 Views
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