विश्राम …
विश्राम …
मैं क्या जानूँ राम कहाँ है।
मेरा अंतिम धाम कहाँ है।
पाप पुण्य की गठरी ढोती –
साँसों का विश्राम कहाँ है।
सुशील सरना
विश्राम …
मैं क्या जानूँ राम कहाँ है।
मेरा अंतिम धाम कहाँ है।
पाप पुण्य की गठरी ढोती –
साँसों का विश्राम कहाँ है।
सुशील सरना