#गीत – नाव लक्ष्य की पार लगेगी
लिए हौंसला निकल पड़ा हूँ , इश्क़ किया है मंज़िल से।
नाव लक्ष्य की पार लगेगी , कहता हूँ मैं साहिल से।।
तूफ़ानों से खेलूँगा मैं , चट्टानों से टकराऊँगा।
लाख मुसीबत आएँ चाहें , आगे ही बढ़ता जाऊँगा।
होठों पर मुस्क़ान रहेगी , दिल में पक्की आन रहेगी।
सीख गया हूँ लड़ना अब मैं , आने वाली मुश्क़िल से।
नाव लक्ष्य की पार लगेगी , कहता हूँ मैं साहिल से।।
सिद्दत से जिसने प्यार किया , जंग प्यार की वो जीत गया।
दिल में सबके मधुमास रहा , पतझड़ आकर भी बीत गया।
बहने वाला जल कहलाए , रुका वही पानी हो जाए।
जीवन चलने का नाम यहाँ , चलना सीखा हूँ हासिल से।
नाव लक्ष्य की पार लगेगी , कहता हूँ मैं साहिल से।।
लिए हौंसला निकल पड़ा हूँ , इश्क़ किया है मंज़िल से।
नाव लक्ष्य की पार लगेगी , कहता हूँ मैं साहिल से।।
#आर.एस. ‘प्रीतम’
#सर्वाधिकार सुरक्षित रचना