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18 Jun 2022 · 1 min read

विविध गुच्छ

घृणा

घृणा भावना मन हृदय भरे ,नित्य नव पीर ।।
जाति धर्म या अर्थ में ,भेद नहीं दृग नीर ।।

बहस

बहस कभी यों मत करें ,माथे पड़ती धूल ।
अंत नहीं है बात का ,पता करें जड़ मूल ।।

न्यायपालिका

न्यायपालिका कम करे ,शहर गाँव अपराध ।
सुलझा सदा विवाद को ,क्रियान्वयन ले साध ।।

मंथन

मन मंथन योगी करे ,उपजे नया विचार ।
गूढ़ अर्थ को छाँट कर ,शुद्ध करे व्यवहार ।।

परिणाम

पहले तो सुन बात को ,फिर निकाल परिणाम ।
शांत रहेगा मन सदा , संचारित शुभ काम ।।

डा. सुनीता सिंह ‘सुधा’
वाराणसी ,स्वरचित
17/6/2022

Language: Hindi
172 Views
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