विवाह की वर्षगांठ
20 वर्ष का साथ हमारा, लगता यूँ हैं अभी सुरू।
प्यार हमारा अभी जवां हैं, लगता यूँ हैं अभी सुरू।।
नौक झौक हैं खूब हमारी, पर आज सुरू और कल खत्म।
वाद विवाद भी चलते रहते, पर आज सुरू और कल खत्म।।
मिल कर हम दोनो को रहना, न प्यार खत्म ना तकरार खत्म।
वो जीवन भी क्या जीवन हैं, जहा प्यार खत्म तकरार खत्म।।
जीवन नाम हैं सुख-दुख का, मिल कर बाटे और काटे हम।
जीवन के दुख से डरे नही, मिल कर बाटे और काटे हम।।
20 वर्ष का साथ हुआ हैं, कैसे गुजरे इतने दिन।
अभी तो खुलकर मिले नही, कैसे गुजरे इतने दिन।।
दिया साथ जो तुमने मेरा, आभार उतारू कभी नही।
किया प्रेम जो तुमने मुझसे, आभार उतारू कभी नही।।
दया भाव जो भरा हैं तुझमे, लगता मुझको बहुत सही।
सेवा भाव का कायल मैं हूँ, लगता मुझको बहुत सही।।
मंजू बन कर आयी तुम थी, आँचल बन कर समा गई।
संकुचित हो कर आयी तुम थी, निर्भीक बन कर छा गई।।
20 वर्ष के साथ मे तुमने, जीवन पूर्ण किया हैं मेरा।
पितृ ऋण से उऋण करके, जीवन पूर्ण किया हैं मेरा।।
अदिति जैसी पुत्री देकर, पिता-पुत्री का प्रेम दिया हैं।
अर्ज अनमोल दो पुत्र दिये, पिता-पुत्र का प्रेम दिया हैं।।
सास ससुर की बेटा बनकर, पुत्र-वधु का फर्ज निभाया।
देश के प्रति प्रेम जो मेरा, उसमे मेरा साथ निभाया।।
कर्ज तुम्हारे उतार सकू मैं, ऐसा नही ललकार तुम्हारा।
फर्ज जो मेरे सदा निभाऊ, ऐसा ही ललकार तुम्हारा।।
20 वी है वर्षगांठ हमारी, मुबारक मुबारक प्राणप्रिये।
आशीष सभी का लेते रहना, सारांश यही है प्राणप्रिये।
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“ललकार भारद्वाज”