विवाह की वर्षगांठ
विवाह की बारहवीं वर्षगांठ पर अरुण जी को समर्पित स्वरचित
? गीत?
जबसे तुमने ये हाथ थामा है ,
मैंने रब अपना तुमको माना है।
जन्मों जन्मों का जो बंधा बंधन,
हर जनम में इसे निभाना है।।
प्यार वो बेहिसाब औ बेहद,
लेके जो जिंदगी में आये हैं।
खिल गया है गुलाब सा चेहरा,
होंठ तेरे ही गीत गाये हैं।
भरदो ये मांग मेरी तुम साजन,
खुदको तेरे लिए सजाना है।।
जबसे तुमने ये हाथ थामा है—
संग छूटे नही तेरा मेरा,
मेरी रग रग में तुम समाए हो।
लग न जाये नज़र जमाने की,
खुशियां तुम बेशुमार लाये हो।
अब नहीं चाह मुझको जन्नत की,
स्वर्ग सा मेरा आशियाना है।।
जबसे तुमने ये हाथ थामा है—
तुम बने दूल्हा मैं बनी दुल्हन,
प्यार के हर तरफ नज़ारे हैं।
अब अरुण ज्योति मिल गए है तो
कितने खुश आज चांद तारे हैं।।
खूबसूरत है एक साथी तो
उतना ही ये सफर सुहाना है।
जबसे तुमने ये —
✍?श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव