‘विरोध ‘
विरोध लाजिमी है |
समाज का हो,या सत्ता का हो,
वेतन का हो, या महंगाईभत्ता का हो,
पुराना पेंशन का हो,या नयापेंशन का हो,
हर जगह परेशान आदमी है |
विरोध लाजिमी है…..
विधानसभा में हो,या संसद में हो,
देश में हो, या विदेश में हो ,
अखबार में हो, या दुर्दशन में हो,
हर जगह मनुष्य जख्मी है |
विरोध लाजिमी है …..
अपने लिए हो,या पराये के लिए हो,
घर के लिए हो,या जमीन के लिए हो,
भोजन के लिए हो,या पानी के लिए हो,
हर जगह मानवता का सरेआम निलामी है |
विरोध लाजिमी है…..
तीर से हो,या कमान से हो,
धीर से हो,या अधीर से हो,
शब्द से हो,या अपशब्द से हो,
पक्ष से हो,या विपक्ष से हो,
मतभेद कब थमी है |
विरोध लाजिमी है….
जीवित हो,या मृत हो,
त्रिभुज हो,या वृत हो,
क्षेत्रफल हो,या आयतन हो,
अणु हो,या परमाणु हो,
कला हो,या विग्यान हो,
जीवन बहुआयामी है |
विरोध लाजिमी है….
–पवन कुमार मिश्र ‘अभिकर्ष ‘
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