Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Oct 2021 · 2 min read

विरोध का दंगात्मक चरित्र

———————————————————————————-
राजनैतिक विरोध का चरित्र दंगात्मक हो तो,
प्रजातांत्रिक अनुशासन का है स्खलन।
नेताओं का ही नहीं आदमी का भी है
निम्न दर्जे का मानसिक पतन।
विरोध का राजनैतिक स्वरूप है तार्किक बहस।
हो बहस का स्वरूप प्रतियोगितात्मक अस्वीकार्य।
हो बहस का लक्ष्य,उद्देश्य सर्वजन हिताय।
सदन का सत्र कौरव का सभा स्थल नहीं है।
तब्दील करने में इसे मशगुल लोग शत्रु ही है।
सर्कस का सत्र भी नहीं है सर्कस का शिविर भी नहीं।
क्यों हैं प्रजाजन का प्रजातन्त्र मतदान करने तक ही सीमित।
हर सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय तक कौन करे इसे जीवित।
राजनीति प्रजा का अधिकार हो प्रजा का तिरस्कार नहीं।
राजनीति को राजतंत्र का लगने मत दो लहू का स्वाद।
परिणाम होगा प्रजा का सारे लहू का हो जाना प्रसाद।
शासित की परिभाषा से ‘प्रताड़ित होना’ मुहावरा हटे।
व्यवस्थाओं से निरीहता का सारा झूठा प्रपंच छंटे।
सत्तात्मक सोच की उपज है सारे सुधारों का विरोध।
सुधारकों के व्यक्तित्व से टकराकर नष्ट हों सारे प्रतिरोध।
विरोध का सारा पथ उज्जवल हो और प्रकाश से सराबोर।
सुधारों का पहिया चले निर्बाध उस पथ पर बिना छोर।
प्रजातन्त्र जीवित नहीं बरकरार रखने का प्रण लेना चाहिए।
और दंगात्मक विरोधों का, हर प्राण लेना चाहिए।
सत्ता के हर निर्णय की समीक्षा राजनैतिक नहीं,प्रजातांत्रिक हो।
सारा विश्वास प्रजा में हो सत्ता के लिए राजतान्त्रिक नहीं।
वरिष्ठ सदन की श्रेष्ठता संख्या नहीं श्रेष्ठ जनों से हो स्थापित।
विधेयक हर मानवीय पहलू पर,यहाँ अग्नि-परीक्षा से हो परीक्षित।
हमारी रौशनी चुराने वालों को संविधान करे दंडित और अनुशासित।
राजनीति समग्र नीतियों से चुनकर आयें,मानववादिता से संचालित।
दंगात्मक विरोध बंद हों, विरोध दंगा में न हो परिवर्तित।
विरोध निरंकुश न हो पाये विरोधी हों संस्कार से शिक्षित।
——————————————————————————————-

Language: Hindi
167 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
प्यार के ढाई अक्षर
प्यार के ढाई अक्षर
Juhi Grover
किसी महिला का बार बार आपको देखकर मुस्कुराने के तीन कारण हो स
किसी महिला का बार बार आपको देखकर मुस्कुराने के तीन कारण हो स
Rj Anand Prajapati
दो दिलों में तनातनी क्यों है - संदीप ठाकुर
दो दिलों में तनातनी क्यों है - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
चलो कह भी दो अब जुबां की जुस्तजू ।
चलो कह भी दो अब जुबां की जुस्तजू ।
शेखर सिंह
जमाना चला गया
जमाना चला गया
Pratibha Pandey
सजाता हूँ मिटाता हूँ टशन सपने सदा देखूँ
सजाता हूँ मिटाता हूँ टशन सपने सदा देखूँ
आर.एस. 'प्रीतम'
जब अपनी बात होती है,तब हम हमेशा सही होते हैं। गलत रहने के बा
जब अपनी बात होती है,तब हम हमेशा सही होते हैं। गलत रहने के बा
Paras Nath Jha
ज़माने की नजर से।
ज़माने की नजर से।
Taj Mohammad
2797. *पूर्णिका*
2797. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
किरदार हो या
किरदार हो या
Mahender Singh
..
..
*प्रणय*
न जाने वो कैसे बच्चे होंगे
न जाने वो कैसे बच्चे होंगे
Keshav kishor Kumar
*निर्बल-असहाय अगर तुम हो, ईश्वर का प्रतिदिन ध्यान धरो (राधेश
*निर्बल-असहाय अगर तुम हो, ईश्वर का प्रतिदिन ध्यान धरो (राधेश
Ravi Prakash
10) “वसीयत”
10) “वसीयत”
Sapna Arora
धिक्कार
धिक्कार
Dr. Mulla Adam Ali
16. आग
16. आग
Rajeev Dutta
फूल सी खुश्बू लुटातीं बेटियां
फूल सी खुश्बू लुटातीं बेटियां
पंकज परिंदा
मनांतर🙏
मनांतर🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
बुंदेली दोहे- कीचर (कीचड़)
बुंदेली दोहे- कीचर (कीचड़)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
बलबीर
बलबीर
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
सफ़र ख़ामोशी का
सफ़र ख़ामोशी का
हिमांशु Kulshrestha
दोहा
दोहा
Shriyansh Gupta
🌙Chaand Aur Main✨
🌙Chaand Aur Main✨
Srishty Bansal
*पहचान* – अहोभाग्य
*पहचान* – अहोभाग्य
DR ARUN KUMAR SHASTRI
शब्द
शब्द
Ajay Mishra
उसकी सूरत में उलझे हैं नैना मेरे।
उसकी सूरत में उलझे हैं नैना मेरे।
Madhuri mahakash
प्यारा भारत देश हमारा
प्यारा भारत देश हमारा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
सीख लिया है सभी ने अब
सीख लिया है सभी ने अब
gurudeenverma198
ञ'पर क्या लिखूं
ञ'पर क्या लिखूं
Satish Srijan
"जीवन"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...