विरोधाभास
दर्द वेदना …………..
यहाँ जन्म दिन मन रहे है ,,,शराब शबाब पर है ………..
सुरा भी सुंदरी भी ,नीयत कबाब पर है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
उधर ,,एक असहाय माँ हाथ जोड़े खड़ी ,,
नहीं जुटा पा रही कफ़न के पैसे …मृत बेटे के लिए …..
किसी के पास ,,,,,नहीं है ,,,,,,,,,,,,समय ,,,उसके लिए
यहाँ बी एम डब्लू में बैठी करोडपति सुन्दरी ,,,,,,,,,
खिला रही अपने डौगी को बटर कतली ………….
वही कचरे के ढेर पर कुछ भारत उदय ,,,,,
ढूंड रहे भोजन और भोजन का जरिया ,,
लगता है जैसे घायल जानवर जुटे हो ,,,,
क्या यही है ,बापू का राम राज्य ,,,समाजवाद
कुछ के घर उजड़े कुछ के सदा आबाद ,,,,,,,,सदा आबाद