विराम क्यों?
विराम क्यों?
कहा था किसी फकीर ने
होता नही कुछ भी यहां
उसकी मर्जी के बिना
चाहे ज़मी हो आसमाँ
तो सवाल अब ये उठ रहा
क्यों आज कल कहो भला
लगा यहां विराम है?
क्या हर रोज की भाग दौड़ में
जिसमे हर कोई था लगा
परिवार घर को छोड़ कर
परेशां था वो फिर रहा
उसे लगा ये ज़िन्दगी
घर के बिना तो व्यर्थ है
क्या इसलिये विराम है?
या देखा उसने हर देश में
अलगाववाद था बढ़ रहा
सामन्जस्य था जो घट रहा
विषम बन रहे हर देश में
वैमनस्य का प्रकोप हटे
क्या इसलिए विराम है?
हाथ जो हम धो रहे
क्या दे रहा संकेत है ?
लालच द्वेष इस पर है लगा
जब तक मन धुले नही
फूल प्रेम के खिलें नही
धुले हुए मन के हाथों में
सृष्टिप्रेम का भाव हो
नवसृजन का संचार हो
अनुभूत अब यह हो रहा
विराम इसलिए है?
निशी सिंह