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28 Jul 2021 · 1 min read

विरानो से निकलकर

जख्म- ए- निशान थे बहुत, दिल पर,
कलेजा मुंह को आया था, देख कर।

कलेजे को सीने में दफना क्या लिया है हमने,
विरानो से निकलकर, अब जिंदगी, जिंदगी सी लगती है।

जख्म कहते हैं मैं नहीं हूं अब, निशानों का क्या,
दर्द को देखोगे, तो दर्द ही मिलेगा,

घर के तारों ने भुला दिया सब कुछ,
प्रेम का सागर उड़ेल, घर भर दिया।

चाहतों को फिर से पर लग गए,
जख्म, दर्द, निशान …
सब भुला कर फिर से दिल मिल गए।

विरानो से निकलकर, अब जिंदगी, जिंदगी सी लगती है।

उमेंद्र कुमार

Language: Hindi
3 Likes · 2 Comments · 294 Views
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