विरह वेदना फूल तितली
ठाठ-बाट न बाट जोह तितली की फूल,
नतमस्तक, नमनिव्स्था गिरा धूल ।
कोई न खेला, फूल अकेला, भारी वेला, हुई भूल,
मजार उपवन, विल्पित सुमन, किस्तमत आघाती रूष्ट कूल।।
इजहार किया, इंकार किया, दर किनार किया,
चाहत चाहकर कह न सकी, दब्बुपन हाय मझदार।
न किनारा ठोर ठिकाना, सोचत तितली कर उपकार,
सुमन भी सोचै, हवा न ठण्डी, होगा कैसे परोपकार।।
मगर क्या जाने रेगिस्तान गर्म हवाएं यहाँ ठण्डी यान,
पवन पखारे, गर्मी मारे ,ठण्डप – मन्दप कच्छप चाल।
सर-सर लुए रूदन कर्नदन ,शीतल गीतल अनल चाल,
बाज, चीले कौएं, कुत्ते ,बत्तख ,बटेर ,सारस जलज बहाल।।
नदी- तीर नेवला ,मेढ़क, टर्र-टर्र करै गुजार ,
फूल मूल ,शूल न जल, तड़ाग नाद हिन पहाड़।
पिपासा नेवला उदण्डी कुद्दे, मेढ़क पर लगे दहाड़
मेढ़क रोवै रुद्धन मचावै, लेकिन नेवला रहा फाड़।।
हुस्न तप्स आख जूं लागै, निज पर फूल बहावै नीर,
नाग जहर ही उगलेगा, चाहे पिलावै जितना क्षीर।
भंवरा- तितली फूल-चहेता, लेकिन किसको किसकी पीड़,
नाश्वान,नासमझ, नादान, नागवार ,नाहक हदय रहे चीर।।
संशय, संकट, बंकट ढाढ़स रोवै कहै किस्मत का फेर,
फिजा खिजा अलग शाखाएं प्यार लेकिन फिर भी ढेर ।
काक -पिक, शंक- कंक, मादक साधक देर सवेर,
हृदय चीर निपट अभागा, दृग गोलक सवा सेर से सेर।।
चिकने चिट्टे, हट्टे कट्टे, फूल नहीं ये सट्टे -सट्टे,
माली- मालिन, चुन-चुन तौड़ै, चपला चंचला खट्टे -खट्टे।
ताड़त बांस काटे जु मारै, साधक फूल रहे रट्टे- रट्टे ,
चुन-2 चौरासी कलियाँ, फूल लखावै मुंह फट्टे- फट्टे ।।
मन शंशा, नैन न मिलन, विरह वेदना फूल तितली,
किर गिर फूल नाल बहावै, तितली सोचै रुदन मचावै।
जाहो जलाल रूए ज्वाल, कायल मायल रीझत आवै,
खिले कलियां भरे डलियां, मालिक ठण्डी हवा चलावै।।
फूल सौचे नर गिरा हूँ, गिरा बेबस, उठूं हुस्न से,
पंक डंक पर न जाऊ, विराजू साजू नृप मणी से।
देखत-तितली पीत पट धारै, बसंत बहार अणी-अणी,
तिनका मनका न उदण्डता, फूल करें प्यार शूल से।।
क्षीर- दूध
कायल – आदि
मायल – मोहित
सतपाल चौहान।