” विरहणी क विरह गीत “
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
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आहां बिसरि गेलहुं आहां बिसरि गेलहुं हम नोरे केवल पोछैत छी !
आहां बिसरि गेलहुं आहां बिसरि गेलहुं हम नोरे केवल पोछैत छी !!
भेल कतेक दिवस
कोनो नहि पता ,
हम गीत विरह
गबैत छी सदा ……
भेल कतेक दिवस
कोनो नहि पता ,
हम गीत विरह
गबैत छी सदा !!
अछि इ साऔन हमर कोंढ़ कटैत
अछि इ साऔन हमर कोंढ़ कटैत ,
हम नोरे केवल पोछैत छी !!
आहां बिसरि गेलहुं आहां बिसरि गेलहुं हम नोरे केवल पोछैत छी !
आहां बिसरि गेलहुं आहां बिसरि गेलहुं हम नोरे केवल पोछैत छी !!
अछि चांदनी राति
अन्हार हमर
जेना बुझु फुटल
कप्पार हमर …
अछि चांदनी राति
अन्हार हमर
जेना बुझु फुटल
कप्पार हमर !!
अछि इ मिलन केर योग अखन
अछि इ मिलन केर योग अखन
हम नोरे केवल पोछैत छी !!
आहां बिसरि गेलहुं आहां बिसरि गेलहुं हम नोरे केवल पोछैत छी !
आहां बिसरि गेलहुं आहां बिसरि गेलहुं हम नोरे केवल पोछैत छी !!
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डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका
झारखण्ड
भारत