विभेद दें।
आत्मशुद्धिमय सजग सिपाही बनकर युवजन लक्ष्य भेद दें।
बिना जागरण के स्वदेश को,भार और तम द्वंद्व खेद दें।
समझ न सकें राष्ट्र की पीड़ा, कैसे कह दें सद्ज्ञानी हैं।
सुप्त तरुण निज मातृभूमि को हीन बनाकर के विभेद दें।
पं बृजेश कुमार नायक
आत्मशुद्धिमय सजग सिपाही बनकर युवजन लक्ष्य भेद दें।
बिना जागरण के स्वदेश को,भार और तम द्वंद्व खेद दें।
समझ न सकें राष्ट्र की पीड़ा, कैसे कह दें सद्ज्ञानी हैं।
सुप्त तरुण निज मातृभूमि को हीन बनाकर के विभेद दें।
पं बृजेश कुमार नायक