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20 Feb 2024 · 1 min read

विभेद दें।

आत्मशुद्धिमय सजग सिपाही बनकर युवजन लक्ष्य भेद दें।
बिना जागरण के स्वदेश को,भार और तम द्वंद्व खेद दें।
समझ न सकें राष्ट्र की पीड़ा, कैसे कह दें सद्ज्ञानी हैं।
सुप्त तरुण निज मातृभूमि को हीन बनाकर के विभेद दें।

पं बृजेश कुमार नायक

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