विपदाओं की भीड़ में
विपदाओं की भीड़ में, हिम्मत ही हथियार
जिस दिन बैठूं इक घड़ी, पूरा घर लाचार
मात- तात को देखिए, क्या उनका है हाल
नर-नारी के भेद से, क्या संभव संसार।।
सूर्यकांत द्विवेदी
विपदाओं की भीड़ में, हिम्मत ही हथियार
जिस दिन बैठूं इक घड़ी, पूरा घर लाचार
मात- तात को देखिए, क्या उनका है हाल
नर-नारी के भेद से, क्या संभव संसार।।
सूर्यकांत द्विवेदी