विनय
माँ जगदम्बे, जगजननी मेरी विनय इतनी सी स्वीकार करो,
जब भी जन्म लूँ धरा पर मन में तुम ही तुम वास करो।।
तुझे लाल चुनर ओढ़ाऊँ माँ और तेरे रंग रंग जाऊँ माँ,
मेरे अंग संग हो तुम सदा ऐसा तुम पर विश्वास दो।
माँ जगदम्बे मेरी….!
तेरा पूजन, तेरा अर्चन, तेरा वंदन हो मेरा जीवन,
मेरे शब्दों, मेरे गीतों में सदा तुम प्रेरणा बन निवास करो।
माँ जगदम्बे मेरी …..!
तुझे गीतों की माला पहनाकर तेरी मस्ती में मैं झूमूँ,
रहे कंचन पर तेरी दया सदा तुम ही पूरी हर आस करो।
माँ जगदम्बे मेरी…..!
रचनाकार – कंचन खन्ना,
मुरादाबाद, (उ०प्र०, भारत)।
सर्वाधिकार, सुरक्षित (रचनाकार)।
दिनांक – २०/०५/२०१८.