विनम्र नीच
किसी जिला स्तर के अस्पताल में महामहिम राज्यपाल महोदय के निरीक्षण का दौरा चल रहा था वह अपने सहायक सचिवों एवं अन्य उच्च अधिकारियों के साथ अस्पताल में निरीक्षण पर घूम रहे थे । जब वे उस अस्पताल के एक्सरे विभाग में पहुंचे तो आम जनता में से कुछ लोगों ने उनके सम्मुख आकर शिकायत की कि साहब इस एक्सरे विभाग में इस प्रदेश का सबसे भृष्ट डॉक्टर नियुक्त है । कृपया उसके लिए कुछ कीजिए हम लोग उससे बहुत दुखी हैं । महामहिम महोदय उनकी इस बात को अनसुना करते हुए आगे बढ़ गए और वे काफिले की भीड़ में पीछे रह गए पर उन लोगों ने समवेत स्वर में निरंतर उस डॉक्टर की निंदा एवं शिकायत करना जारी रखा ।
उन लोगों की इन बातों को देखकर संभवत महामहिम जी के प्रधान सचिव ने उनसे पूछा
कि अच्छा उस भ्रष्ट डॉक्टर का नाम बताइए ?
इस पर वे सब एक-दूसरे का मुंह देखने लगे
अबे तू बता ? क्या नाम है तू बता ?
मुझे नहीं मालूम अच्छा तू बता ?
मुझे नहीं मालूम ।
और इस प्रकार एक दूसरे से बहस कर उसका नाम जानने की कोशिश करने लगे । यह दृश्य देखकर सचिव महोदय भी बिना उनकी सुने आगे बढ़ गए । अब काफिला चिकित्सालय परिसर को भ्रमण करता हुआ दूसरे गलियारे में जा पहुंचा था । मैं भी भीड़ का हिस्सा बना काफिले की दुम पर चल रहा था । तभी मैंने देखा सामने से एक चिकित्सक महोदय एप्रॉन पहने आ रहे थे । संभवत यह वही रेडियोलॉजिस्ट विशेषज्ञ थे । उनको देखते ही वे शिकायतकर्ता डॉक्टर साहब की ओर लपके और झुककर बड़ी विनम्रता अपनी खीसें निपोर कर उन्हें अभिवादन करते हुए बोले
‘ नमस्कार डॉक्टर साहब नमस्कार आपका नाम क्या है ‘
उन डॉक्टर साहब ने भी इस अभिवादन को अपनी इज्जत आफज़ाहि और लोकप्रियता का हिस्सा मानते हुए उनके अभिवादन को स्वीकारा और अपना नाम ***** बता दिया ।
इसके पश्चात वे दूसरी दिशा में चल दिए ।
तभी मैंने पाया कि वे 4 – 5 शिकायतकर्ता दौड़कर अपने आगे चलने वाले साथियों से चिल्ला कर बोले अबे डॉक्टर का नाम ***** लिखवा दे ।
***** नाम है डॉक्टर का जल्दी से लिखवा दे ।
इस प्रकरण को देखकर मुझे श्री गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रामचरितमानस में लिखित उक्त पंक्तियां याद आ गईं
‘ नवन नीच की अति दुखदाई ,
जिमी अंकुश , धनु , उरग , बिलाई ।।
अर्थात जब कोई नीच आपके सामने विनम्रता से झुककर अपना व्यवहार प्रगट करता हो तो वह अत्यंत दुखदाई सिद्ध होता है । जिस प्रकार से कि हाथी को बस में करने वाले महावत के पास अंकुश की नोक झुकी हुई होती है । धनुष की कमान झुक कर तीर मारती है । उरग अर्थात सर्प डसने से पहले अपने फन को नीचे झुका कर फिर वार करता है इसी प्रकार बिल्ली आक्रमण करने से पहले अपने शरीर को नीचे झुका कर फिर उछल कर आक्रमण करती है ।
इसी प्रकार जब कोई नीच व्यक्ति आपके सामने बहुत विनम्र व्यवहार दिखाते हुए आपसे मीठी बात करे तो हमें सतर्क हो जाना चाहिए कि उसके इस व्यवहार का फल अत्यंत दुःखदाई हो सकता है ।