विनम्रता
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विनम्रता
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जो गुणवान हुआ करते हैं, वे विनम्र हो झुक जाते है,
वे अपनी मधुरिम सुगंध से, सारे जग को महकाते हैं,
आओ हम भी बनें वृक्ष वह, लदा हुआ जो फल-फूलों से,
वृक्ष भाग्यशाली वे होते, जिन पर मीठे फल आते हैं ।
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा !
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