विधाता स्वरूप पिता
जिन्होंने मेरे उद्भव के पश्चात
अग्रु पकड़ पधारना सिखाया
क्षुद्रता में बिस्किट, चॉकलेट
मांगने पर कर देते अर्पण हमें
वही हमारे ईश्वर स्वरूप पिता ।
जिन्होंने प्रसव में दुराल के संग
त्रुटि होने पर हमें करते थे पिटाई
आज-कल भी पैसे मांगने पर वो
जेब विहीन के अवस्था में भी देते
वही हमारे जगदीश्वर स्वरूप पिता ।
जिन्होंने अद्भुत वसुंधरा पे से ही
हमें ब्रह्मांड , स्वर्ग का सैर कराये
अभी भी करता मानस है हमारा
न बड़ा होकर पितृ स्नेह खोने का
वही हमारे विधाता स्वरूप पिता ।
जिन्होंने मेरे हर सुख – दुख को
सदा से ही समझते आये अपना
तकलीफ में ले जाते वैध के पास
जो मेरे दिल में बसे रहते है सदा
वही हमारे परमपिता ब्रह्मा तुल्य ।
अमरेश कुमार वर्मा
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार