विधाता छंद “मुक्तक”
समय के साथ तो हमको, कभी ढलना नहीं आया I
नदी के संग धारा में, ………हमें बहना नहीं आया I
ख्वाहिशें हो नही पाई,कभी भी आज तक पूरी,
हमें कहना नहीं आया, उन्हें सुनना नहीं आया I
रमेश शर्मा
समय के साथ तो हमको, कभी ढलना नहीं आया I
नदी के संग धारा में, ………हमें बहना नहीं आया I
ख्वाहिशें हो नही पाई,कभी भी आज तक पूरी,
हमें कहना नहीं आया, उन्हें सुनना नहीं आया I
रमेश शर्मा