विधवा की प्रार्थना
सम्मान में न जाने, कैसा मिला अभिशाप है
आश के विश्वास में, मुझको मिला संताप है
लाली-वाली बिंदियाँ छूटी, छूटा पाव महावर का
क्या कसूर मेरा था गिरिवर, छूटा साथ मेरे प्रियवर का
श्वेत वस्त्र शान्ति प्रतीक का, मुझे कलंकित करता है
सामाजिक गतिविधियों में, मुझको लज्जित करता है
किन कर्मों का फल दिया, मुझे बताओं दिलवर का
क्या कसूर मेरा था गिरिवर, छूटा साथ मेरे प्रियवर का
सामाजिक संस्कृतियों से, अब हम क्यूं निष्क्रिय हुए
मानवता के बल वेदी पर, क्यूं चुभते शूल के तुल्य हुए
पारदर्शिता अपरोक्ष करण में, अमूल्य चुकाया भावर का
क्या कसूर मेरा था गिरिवर, छूटा साथ मेरे प्रियवर का
नीति शास्त्र और शास्त्र धरोहर, पूर्व जन्म का कारक है
पाषाण निठुर निष्ठुर तक कहते, जो समाज के जातक है
मंगल साध्य तपस्या में, मिला अपूर्ण साथ परमेश्वर का
क्या कसूर मेरा था गिरिवर, छूटा साथ मेरे प्रियवर का
दुराचारिणी अपरिभाषित, अप्रमाणिक प्रसंग सुनाते है
अर्थ अनर्थ वैदिक घटना, सब मुझपर दोष लगाते है
अभागी प्रकृति विश्लेषण, क्यूं ग्रास बनाया दण्डधर का
क्या कसूर मेरा था गिरिवर, छूटा साथ मेरे प्रियवर का
किसे बताऊं किसे दिखाऊं, जो अंतर द्वंद्व की बाते है
न्याय मांगने किससे जाऊ, जब सब दोषी ठहराते है
अंतिम परिपक्वता आप जानते, मेरे मन के भावर का
क्या कसूर मेरा था गिरिवर, छूटा साथ मेरे प्रियवर का