विद्रोही चेतना
ऐसे हालात में
किसी भी तरह से
तुम कहो वही जो
कहा जाना चाहिए!
चाहे सिर क़लम हो
चाहे हाथ कटें
तुम करो वही
जो किया जाना चाहिए!
किसी भी पागल
हुक़्मरान के बजाय
अपनी रूह के प्रति
तुम हो ज़िम्मेदार!
ज़मीर की आवाज़ पर
ग़ैरत की पुकार पर
तुम बनो वही जो
बना जाना चाहिए!
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