23/136.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
माज़ी में जनाब ग़ालिब नज़र आएगा
मेरी भी कहानी कुछ अजीब है....!
singh kunwar sarvendra vikram
आखिर क्या कमी है मुझमें......??
दिन को रात और रात को दिन बना देंगे।
रमेशराज के बालमन पर आधारित बालगीत
हार में जीत है, रार में प्रीत है।
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
हंसवाहिनी दो मुझे, बस इतना वरदान।
आया करवाचौथ, सुहागिन देखो सजती( कुंडलिया )
आग लगाते लोग
DR. Kaushal Kishor Shrivastava
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
"शाम-सवेरे मंदिर जाना, दीप जला शीश झुकाना।
// जनक छन्द //
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
किसी पत्थर की मूरत से आप प्यार करें, यह वाजिब है, मगर, किसी
मत गुजरा करो शहर की पगडंडियों से बेखौफ