विद्यालय
जहाँ मांँ भारती की हो कृपा
है सुंदर आलय यह विद्यालय,
कोटि सूर्य का रश्मि-पुंज,
धवल चंद्र की शीतल छाया,
जहांँ बुद्धि-ज्ञान की बहे गंगा,
है सुंदर आलय यह विद्यालय।
खेल-कूद, पठन-पाठन,
संगीत, कला, नैतिक शिक्षा,
जहांँ संस्कार गढ़ा जाए,
है सुंदर आलय यह विद्यालय।
ज्ञान औ तप का यह मंदिर,
विज्ञान-तकनीक निखरता है,
जहांँ भविष्य उज्ज्वल बने,
है सुंदर आलय यह विद्यालय।
उच्च शिक्षा की आधारशिला,
प्रतिस्पर्धा का गुण आता है,
जहांँ सुंदर सपनों की नींव पड़े,
है सुंदर आलय यह विद्यालय।
मौलिक व स्वरचित
©® श्री रमण
बेगूसराय (बिहार)