विद्या:कविता
विद्या:कविता
:काश जिंदगी किताब होती
नियम में हो हिसाब होती|
कर पक्ष बिपक्ष पर दलीलें
सदा इतफ़ाक़ नायाब होती |
छोटे को भी बड़ा ना जानो
लय संगीत सी ज़नाब होती |
खोटी बात को मन से हारो
बड़ा लालच में सुझाब होती|
काश! स्वर गणना में चलते
जीवन भर सही लगाब होती|
संतुलन मापदंड का अनुपात
समीकरण में लाज़वाब होती|
स्वरचित –