विदूषक
1
छुपा विदूषक है कहीं, अपने अंदर झांक
अपनी ही मुस्कान में,छिपे दर्द को आंक
2
सदा विदूषक की रही, एक अलग पहचान
अभिनय में ये डालते, अपनी पूरी जान
3
हुये विदूषक आधुनिक,करते नये मज़ाक
जग में अपने नाम की, खूब जमाते धाक
4
अभिनय की जादूगरी, शब्दों का ले जाल
हमें हँसाने के लिये, चले विदूषक चाल
5
काम विदूषक का नहीं,करना है आसान
खिलती अधरों पर बड़ी, मुश्किल से मुस्कान
20-01-2021
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद