विदाई
जो भी आये जग में भाई ।
उनकी निश्चित होत विदाई ।।
जग रह जाती उनकी बानी।
मान रहे भौतिक विज्ञानी ।।
शब्द ध्वनि ब्रह्मांड समाती।
परा रूप धरती पर आती।।
प्रेरित करहि समान विचारा।
प्रेरित जीव जगत व्यवहारा।।
वाणी जिसकी जन उपयोगी ।
संयम रखता सच्चा योगी ।।
फुहड़ बोल जो शब्द गवाता।
धरा लोक सम्मान न पाता ।।
कवि कोविद चाहे वह वक्ता।
नीच सृजन साहित्य न बनता।
प्रेरित करहि कर्म जो भाई ।
वही सफल वाणी सुखदाई ।।
बिन हरि नाम सफल नहि बानी।
करें सृजन कुत्सित अभिमानी ।।
राम नाम जप यही बडाई।
मन अति हर्षित जगत विदाई।।
राजेश कौरव सुमित्र