Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Oct 2021 · 2 min read

विदाई

शीर्षक–विदाई…..
“बिट्टू,उठ बेटा…देर हो रही है.।”
“सोने दो न मम्मी..”
दामिनी के पल्लू को अपनी मुट्ठी मेंकसते हुये बोली बिट्टू।
“तूझे कैसे समझाऊँ,मेरी लाडो …अगर तुझे आज सोने दिया,तो तू कभी नहीं सो पायेगी …”बेबसी के आँसू छलछला आये दामिनी की आँखों मे।
पति के सट्टा खेलने की लत ने सब खत्म कर दिया था।खाते-पीते,हँसते मुस्कुराते घर को जैसे किसी की नजर लग गई । बाकी कसर सुरेश की नशे की आदत ने पूरी कर दी.।लोगों का कर्ज चुकाने के लिये उसने जो तरीका अपनाया उस से दामिनी हिल गई ।विरोध करने पर उसकी पिटाई कर दी सुरेश ने।दिन ब दिन बिगड़ती हालत देख दामिनी ने कुछ निश्चय किया। एक एन.जी.ओ. का नम्बर ढ़ूँढ़ के पति के घर से बाहर जाते ही उसने बात की ।और जैसा वो संस्था समझाती गई दामिनी करती गई ।
लेकिन दो दिन पहले पति ने विस्फोट किया.कि बिट्टू का रिश्ता तय कर दिया है।दो दिन में बिट्टू की विदाई पक्की।हक्की बक्की रह गई दामिनी।
“अभी उम्र ही क्या है उसकी .दस साल की तो हुई है”
“चुप कर ,दो दिन में इसकी विदा की तैयारी कर “दस के नोट की गड्डी उसके आगे डाल करसुरेश निकल गया ।उसके पास सिर्फ दो दिन थे।उसने संस्था में फोन कर के सारी स्थिति से अवगत कराया।और अब उसे आखरी कदम उठाना था।पति द्वारा दिये रूपयों से उसने जरूरी काम निबटाये।एक बैग में कपड़े,सर्टिफिकेट,और जरूरी सामान के साथ खाना भी पैक किया।बिट्टू का हाथ पकड़ते ही उसके हाथों पर लगी मेंहदी ने उसे रूला दिया।रेल्वे स्टेशन पर पहुँची तो रेल आचुकी थी ।जल्दी से अपनी सीट पर जाकर सामान रखा।जैसे ही रेल चलने लगी बिट्टू के वाक्य ने रूला दिया।
“मम्मी ,ट्रेन रूकबा दो,पापा तो आये ही नहीं…….”और वो चलती ट्रेन की खिड़की से ढ़ूढ़ने लगी उस पिता को जिसने एक लाख में इस मासूम ,नन्हीं कली का सौदा कर दिया था ….अपनी गलती सुधारने को..।

Language: Hindi
1 Like · 283 Views

You may also like these posts

.......,,,
.......,,,
शेखर सिंह
सच्चा ज्ञानी व्यक्ति वह है जो हमें अपने भीतर पहुंचने में मदद
सच्चा ज्ञानी व्यक्ति वह है जो हमें अपने भीतर पहुंचने में मदद
Ravikesh Jha
विषय मेरा आदर्श शिक्षक
विषय मेरा आदर्श शिक्षक
कार्तिक नितिन शर्मा
सवैया छंदों के नाम व मापनी (सउदाहरण )
सवैया छंदों के नाम व मापनी (सउदाहरण )
Subhash Singhai
"बड़े-बड़े डेम, बिल्डिंग, पाइप-लाइन लीक हो जाते हैं। पेपर लीक
*प्रणय*
संस्मरण
संस्मरण
Ravi Prakash
मन के विकार साफ कर मनाओ दिवाली।
मन के विकार साफ कर मनाओ दिवाली।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
पेड़ और ऑक्सीजन
पेड़ और ऑक्सीजन
विजय कुमार अग्रवाल
चलो गीत गाएं
चलो गीत गाएं
महेश चन्द्र त्रिपाठी
मन हमेशा एक यात्रा में रहा
मन हमेशा एक यात्रा में रहा
Rituraj shivem verma
सुख की तलाश आंख- मिचौली का खेल है जब तुम उसे खोजते हो ,तो वह
सुख की तलाश आंख- मिचौली का खेल है जब तुम उसे खोजते हो ,तो वह
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
कुछ औरतें खा जाती हैं, दूसरी औरतों के अस्तित्व । उनके सपने,
कुछ औरतें खा जाती हैं, दूसरी औरतों के अस्तित्व । उनके सपने,
पूर्वार्थ
वो भी एक समय था जब...
वो भी एक समय था जब...
Ajit Kumar "Karn"
Umbrella
Umbrella
अनिल मिश्र
समय की रेत
समय की रेत
शशि कांत श्रीवास्तव
हिन्दी मन की पावन गंगा
हिन्दी मन की पावन गंगा
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
कही-अनकही
कही-अनकही
Deepesh Dwivedi
रुसल कनिया
रुसल कनिया
Bindesh kumar jha
बदलती फितरत
बदलती फितरत
Sûrëkhâ
सुर्ख बिंदी
सुर्ख बिंदी
Awadhesh Singh
ऐ मेरी जिंदगी
ऐ मेरी जिंदगी
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
मुद्दत के बाद
मुद्दत के बाद
Chitra Bisht
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
रावण उवाच
रावण उवाच
Sudhir srivastava
कविता
कविता
Rambali Mishra
दे दे सुकून बारिश की बूँद
दे दे सुकून बारिश की बूँद
Buddha Prakash
रस्मे-हिज़ाब हम से जरूरी है अगर
रस्मे-हिज़ाब हम से जरूरी है अगर
sushil sarna
3921.💐 *पूर्णिका* 💐
3921.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
monalisa
monalisa
DR ARUN KUMAR SHASTRI
देश भक्ति गीत
देश भक्ति गीत
Neelam Sharma
Loading...