***विदाई समारोह ***
।। ॐ श्री परमात्मने नमः ।।
” विदाई समारोह”
शिखा विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर की अंतिम वर्ष छात्रा थी उस दिन विदाई समारोह का आयोजन था। इस कार्यक्रम के लिए सभी छात्रों को निमंत्रण दिया गया था शिखा
साइकिल से ही कॉलेज जाया करती थी।
शिखा ने विदाई समारोह के लिए बढ़िया नया सलवार सूट सिलवाया था।
विदाई समारोह के दिन अपने नये सलवार सूट को पहनकर साइकिल से कॉलेज जाने के लिए चल पड़ी लेकिन बीच रास्ते में कुछ दूरी पर ही मोड़ आ गया वहां पर दूसरी तरफ से नोसिखिया कार चलाने वाला शिखा की साइकिल से आकर टकरा गया
कार से टकराने के बाद शिखा साइकिल सहित गिर पड़ी , खुद को सम्हालते हुए जब देखा तो घुटने में चोट लग गई खून बह रहा है और सूट घुटने के पास से फट गया है।
शिखा ने कार चालक को कोसते हुए रोने लगी
कार चालक ने भी लड़की की स्थिति देखकर कार को किनारे लगाकर माफी मांगी और कहा मेरा घर पास में ही है चलकर प्राथमिक उपचार करा लेते हैं लेकिन शिखा मना करने लगी कुछ देर बाद अपनी हालत देखकर हाँ कह दिया था।
कार चालक के घर पहुँचकर वही डॉक्टर बुलाकर मलहम पट्टी बांध दिया और कुछ
दवाईयां भी खाने के लिए दी
कार चालक के घर वालों को सारी बातें बतलाई तो उन्होंने भी हाथ जोड़कर माफी मांगी और कहने लगे कि तुम हमारी बेटी की तरह से हो
किसी भी प्रकार का सहयोग जो हमसे बनेगा हम जरूर करेंगे।
ईलाज के लिए ,नये सलवार सूट के लिए और भी जितने रूपये – पैसों की जरूरत है रख लो
शिखा के हाथों में नोटों की गड्डी थमाते हुए कह रहे थे।
बेटे ने नई कार खरीदी थी उसे ही चलाना सीख रहा था इतेफाक से ही ये हादसा हो गया है हमारे बेटे को माफ़ कर दो ….! ! !
काफी मिन्नतें करने के बाद शिखा ने उनके बेटे को माफ़ कर दिया और अब अपने घर जाने के लिए तैयार हुई तो परिवार के लोग कहने लगे कि हम भी तुम्हारे साथ चलते हैं।
शिखा के साथ कार चालक के परिवार वाले भी घर तक उसी कार में छोड़ने के लिए गये ।
शिखा के घर पहुँचते ही माँ घबरा गई ….!!मेरी बेटी को क्या हो गया ये तो साइकिल से कॉलेज गई थी और कार में अनजान व्यक्ति के साथ घर वापस आ रही है।
शिखा को देखते ही माँ ने पूछा क्या हुआ .. ? ?
बेटी ने कहा – कार से टकराने में जरा सी चोट लग गई थी इस पर शिखा की माँ उस लड़के पर आग बबूला हो गई और कहने लगी पता नही आजकल के लड़के नशे में धूत गाड़ी चलाते हैं हवा में गाड़ी घुमाते है और न जानें क्या क्या बोलने लगी थी ।
थोड़ी देर में सारी बातें विस्तार से बतलाई गई तो शिखा की माँ कुछ शांत हो गई थी।
कार चालक उस लड़के एवं माता पिता ने भी उस घटना पर अफसोस जताया और कुछ रूपये हरजाना के तौर पर देना चाहते थे उन्होंने कहा – हमारी कोई बेटी नही है आज से हम शिखा को बेटी के रूप में स्वीकार करते हैं और जब भी कोई सहयोग की जरूरत हो हमे अपना समझ कर बेझिझक बताइयेगा ।
कार चालक का परिवार बहुत बड़े व्यवसायी थे उनका बड़ा कारोबार था लेकिन उनकी कोई बेटी नही थी बेटी की चाह में कई जगह मन्नते की थी सिर्फ एकलौता बेटा ही था।
शिखा को पैर में लगी चोट धीरे धीरे ठीक होने लगी थी उस दिन तो वह विदाई समारोह में कॉलेज नही जा सकी थी लेकिन
अब जब भी कॉलेज के लिए उसी रास्ते से गुजरती तो वह परिवार अपनी बेटी की तरह से ही सम्मान देते ….
दुनिया में बहुत ही कम लोग होते हैं जिन्हें यादों में स्मरणीय रखा जा सकता है
*याद आ गया वो बीते पलों का जमाना ।
गम का बहाना वो खुशियों का खजाना ।।
कल ,आज और गुजरे पलों का फंसाना ।
फर्क है इतना कि रूठे हुए को फिर से मनाना
स्वरचित मौलिक रचना ??
*** शशिकला व्यास ***
#* भोपाल मध्यप्रदेश #*