“विदाई समारोह”
आपमे सबसे खास…
“होठो पर सदा मुस्कान
चेहरे पर शकुन का भाव
हँसमुख बनकर सबसे मिलना
ऐसा सुलझा सरल आपका स्वभाव”
आपसे सीखा…
नैतिकता नीति की बताकर बात
पब्लिक डीलिंग भी सिखाई साथ-साथ
विषम परिस्थिति मे आपकी डाँट
सीखा गई हमें संयम का पाठ
समस्या हमारी ध्यान से सुनकर
पल मे करती है समाधान
हम सब आपके है कनिज़
करते दिल से आपका सम्मान
सेवाकाल के अंतिम दौर में
विदाई की वेला आई है
आप जैसे मार्गदर्शक रुप मे
हमने बरगद सी छाँव पाई है..।
शुभकामनाएं व निवेदन….
दौर सुनहरा नही गया है
नया सबेरा अब हुआ है
जो कुछ नौकरी की व्यस्तता मे छुटा
उसे जीने का.समय.अब.शुरू हुआ है
दुनियादारी खुब.निभाओ
स्वस्थ काया संग स्वस्थ मन पाओ
अपनो संग समय भी खुब बिताना
पर हम सबको भूल न जाना….।