” विदाई गीत “
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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मेरे साथी
आज चले हैं
होक
हमसे युदा !
किस्मत ने
क्या खेल
दिखाया
रोना आज पड़ा !!
मेरे साथी
आज चले हैं
होक
हमसे युदा !
किस्मत ने
क्या खेल
दिखाया
रोना आज पड़ा !!
आज अँधेरा छाया ऐसा पग -पग भूल रहे हैं ,
बीच भँवर में छोड़के नैया आज ये जा रहे हैं !
आज अँधेरा छाया ऐसा पग -पग भूल रहे हैं ,
बीच भँवर में छोड़के नैया आज ये जा रहे हैं !!
हे भगवन
क्या न्याय
यही है ?
सोचो तुम भी जरा !!
किस्मत ने
क्या खेल
दिखाया
रोना आज पड़ा !!
जब तक तेरा साथ रहा मुझे प्यार ही प्यार मिला ,
दूर ही रहकर आपसे मिलकर घर का प्यार मिला !
जब तक तेरा साथ रहा मुझे प्यार ही प्यार मिला ,
दूर ही रहकर आपसे मिलकर घर का प्यार मिला !!
हम भूलेंगे
प्यार ये
कैसे ?
जो जीवन
से बड़ा !
किस्मत ने
क्या खेल
दिखाया
रोना आज पड़ा !!
भगवन,… ..इनको खुश रखना तुम जहाँ कहीं जाएँ !
हर रस्ते हर पग पर क्षण -क्षण प्यार ही प्यार ये पाएं !!
भगवन,… ..इनको खुश रखना तुम जहाँ कहीं जाएँ !
हर रस्ते हर पग पर क्षण -क्षण प्यार ही प्यार ये पाएं !!
यही ह्रदय का
गान
हमारा जो
दुहराना पड़ा !!
किस्मत ने
क्या खेल
दिखाया
रोना आज पड़ा !!
मेरे साथी
आज चले हैं
होक
हमसे युदा !
किस्मत ने
क्या खेल
दिखाया
रोना आज पड़ा !!
मेरे साथी
आज चले हैं
होक
हमसे युदा !
किस्मत ने
क्या खेल
दिखाया
रोना आज पड़ा !!
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डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल “