विजय-मंत्र
——–विजय- मंत्र——-
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तुम करोगे बार- बार प्रयास
मंजिलें होंगी कदमों के पास
मकड़ी बुनती है जैसे जाला
करती रहती निरन्तर प्रयास
जड़मत बन जाते हैं सुजान
करते रहो बार बार अभ्यास
चींटी भी हो जाती कामयाब
मंद मंद करती अथक प्रयास
हासिल होगा तुम्हें हर मुकाम
करो तुम सकारात्मक प्रयास
डगर कितनी भी हो मुश्किल
दृढसंकल्पित हो,करो प्रयास
जय-पराजय कभी मत सोचो
करनी है हर परीक्षा हमें पास
मन के हारे हार,सदा रहे होती
मन के करिए जीत का प्रयास
तेरे अरमान हो जाएंगे साकार
कयास नहीं,सदैव करो प्रयास
फहराना जीत की तुम पताका
जीवन में मत होना तुम हताश
सुखविंद्र हार पर करना मंथन
होंगी मंजिलें तुम्हारे आसपास
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)