🙏विजयादशमी🙏
“विजयादशमी”
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विजया दशमी की, बेला आयी;
देवी मां ने ही , दुर्गा रूप बनाई;
आज बनी मां , दस भुजा धारी;
सिंह को बनाया, अपनी सवारी;
माता की, नौ रूप इसमें समाई;
दैत्यों का, अंतिम दिन था आज;
दुर्गा माता ने , किया ऐसा काज;
नौ रूपों ने , नौ दिन युद्ध किया;
महिषासुर ने मां को क्रुद्ध किया;
माता ने दुर्गा रूप अवतार लिया,
महिषासुर का, तब संहार किया;
असत्य पर, सत्य की विजय हुई;
धर्म की आज, पूरी जय-जय हुई;
रामसेना, आज लंका विजय हुई;
राम ने, शक्ति का आह्वान किया;
रावण का , नष्ट अभिमान किया;
आश्विन शुक्ल /चैत्र तिथि दसवीं;
कहलाती तब से, विजया दशमी।
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स्वरचित सह मौलिक;
…..✍️पंकज ‘कर्ण’
…………कटिहार।।
तिथि: १५/१०/२०२१