विजयादशमी
।।विजय दशमी।।
जनकल्याण सिखाता ज्ञान।
स्वार्थ सिखाता है अज्ञान।
विनय शील का होता नाम।
जोर से बोलो जय श्री राम।
राम की महिमा अपरंपार।
मानव हेतु आदर्श उपहार।
मर्यादित जीवन का सार।
विजयादशमी का त्योहार।
पिता पुत्र का निश्चल प्यार।
त्याग हेतु दोनों तैयार ।
पुत्र वियोग, मृत्यु परिणाम ।
अंत समय जपते श्री राम।
राम की महिमा अपरंपार ।
मानव हेतु आदर्श उपहार ।
मर्यादित जीवन का सार।
विजयादशमी का त्योहार ।
लक्ष्मण, भरत बने परछाई
कहां शत्रुघ्न समान हैं भाई
चरणों में करें प्रणाम
जोर से बोलें जय श्री राम।
राम की महिमा अपरंपार ।
मानव हेतु आदर्श उपहार ।
मर्यादित जीवन का सार।
विजयादशमी का त्योहार।
जानकी जैसी ना आदर्श नारी
त्यागी सुख सुविधाएं सारी
सिय बिना भी कहां हैं राम
जोर से बोलो जय श्री राम
राम की महिमा अपरंपार ।
मानव हेतु आदर्श उपहार ।
मर्यादित जीवन का सार।
विजयादशमी का त्योहार ।
नवजीवन शक्ति संचार
कपि सेना कर दी तैयार
अनुपम भक्त कहाए हनुमान
जोर से बोले जय सिया राम
राम की महिमा अपरंपार ।
मानव हेतु आदर्श उपहार ।
मर्यादित जीवन का सार।
विजयादशमी का त्योहार ।
संख्या ही होती, अगर महान
तो रावण, रावण जपता जहान
श्रेष्ठ को न अधिकार से काम
जोर से बोलो जय श्री राम।
राम की महिमा अपरंपार ।
मानव हेतु आदर्श उपहार ।
मर्यादित जीवन का सार।
विजयादशमी का त्योहार ।
वर्ण-वर्ण में आदर्श का गान।
कण-कण में मर्यादा का ज्ञान
कर्तव्य त्याग, न करो आराम
हर क्षण बोलो जय श्री राम।
राम की महिमा अपरंपार ।
मानव हेतु आदर्श उपहार ।
मर्यादित जीवन का सार।
विजयादशमी का त्योहार ।
आदर्श राजा, प्रजा आदर्श
आदर्श बाला, बाल आदर्श
प्रत्येक प्रसंग-दृष्टांत महान
जपते रहो जय सियाराम
राम की महिमा अपरंपार
मानव हेतु आदर्श उपहार
मर्यादित जीवन का सार।
विजयादशमी का त्योहार।
।। मुक्ता शर्मा त्रिपाठी ।।