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8 Oct 2019 · 1 min read

विजयादशमी

हर साल ही पुतला जलता है,
मगर रावण कहाँ मरता है।
जिस दिन ‘राम’ के हाथों तीर चलेगा,
बस उस दिन ही ‘रावण’ मरेगा।।

चारों और हैं कपटी झूठे,
मुझे दिखता कोई संत नहीं।
विजयादशमी बस त्यौहार हो गया,
बुराई का कोई अंत नहीं।।

Language: Hindi
220 Views
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