विजयदशमी दशहरा
******* विजयदशमी दशहरा ********
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विजयदशमी दशहरा पवित्र त्यौहार है,
अच्छाई के सामने हर बुराई की हार है।
रावण अहंकारी अहम में रहा डूबा सदा,
सादगी से भरपूर श्रीराम की तेज़ धार है।
दशानन को ले डुबी उसकी ही करनियाँ,
वर्ना वो महाज्ञानी जानता वेदों का सार है।
सोने की लंका का अंत देखकर लंकेश्वर,
सह न सका वो शक्तिशाली पलटवार है।
फूंकते मनसीरत पुतला सजा रावण का,
हर साल पैदा हो जाता नया अवतार है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)