– विचित्र सी दुनिया –
– विचित्र सी दुनिया –
विचित्र सी यह दुनिया है,
विचित्र से है लोग,
पहले जो दुनिया थी,
उसमे था अपनापन,
अपनत्व की भावना,
अपनो का ख्याल रखते थे सदा,
आज का दौर ऐसा आया है ,
भाई ने भाई की चंद हिस्से के लिए भाई को मार खाया है,
रिश्ते तार – तार हो गए,
पहले होता था चिट्ठी – पत्री से लोक व्यवहार,
आजकल व्हाट्स की दुनिया ने कर दिया है कमाल,
पास बैठा भाई नही सुहाता है,
दूर बैठा साथी याद आता है,
विचित्र सी यह दुनिया है विचित्र से है यहा लोग,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान