मुक्तक
विचार मग्न रहने पर मनन चिंतन कर लेना
विचारणी मन मन्दिर में प्रभाकर से कर लेना
जिज्ञासाओ में पर रखना मही से भी जुड़े रहना
निराशा हो निकट कितना आशाओं से जुड़े रहना
अवहेलना हो तेरी कितनी भावे ना बदलना तुम
दृढ़ता हो तेरा अटूट तो राहें ना बदलना तुम
नवनीत पाण्डेय सेवटा ‘चंकी’