विचार मंच भाग -7
पेट भर खाने को तरसता है इंसान|
नमक मिला और बात हक वाली आयी||(36)
बहुत खूबसूरत है दुनिया, आखें ही काफी नहीं इसे देखने को||(37)
अभी ज़िन्दगी भारी लग रही है?
जिन्दा रहो और दगा पाओ,न जाने कितने बेनकाब होंगे||(38)
तुम निकले थे अपना बनाने ,जहान को,
आँखों में इतनी पहचान कहाँ है?(39)
ज़िन्दगी ने दरकिनार किया है जिसे दौडाकर |
हम भी सिकन्दर हैं , किसी जमाने के||(40)
क्रमश: