विचार भी मरते हैं
विचार भी मरते हैं
सच है ये
विचार भी मरते हैं
सरकारें मार देती हैं
उन विचारों को
जिनसे महसूस होता है उसे
खतरे में सिंहासन
जिन्हें नहीं मार पाती
बदल देती है उनकी दिशा
करके षड़यंत्र
अगर
सतगुरु रविदास की बाणी
श्री गुरु ग्रंथ साहब में
संकलित नहीं होती तो
सतगुरु रविदास भी
वैचारिक तौर पर
मार दिए जाते
साहब कांसीराम नहीं होते तो
बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर
वैचारिक तौर पर भी
मार दिए जाते
लेनिन नहीं होते तो
कार्ल मार्क्स भी
वैचारिक तौर पर
मार दिए जाते
कौन कहता है कि
विचार मरते नहीं
चार्वाक समेत
कितने विचार पनपे
और मार दिए गए
सत्ता द्वारा
-विनोद सिल्ला©