विचलित
आस्था और विश्वास की
उम्मीदों से
आ पहुँचा हूं
तेरी सरहदों मे ।
आवाज दे के बुला ले
या लौटा दे मुझे
नतमस्तक खड़ा हूं
तेरे इन्तजार मे ।
बरसेगी कृपा तेरी
रहमतो की
टकटकी लगायें हूं
तेरे द्वार मे ।
विचलित हुआ है मन
अपराध बोध से
क्षमा प्रार्थी हूं
तेरे चरणो मे ।।
राज विग 26.07.2020.