विगत भूल आगत देखें
विगत भूल आगत देखें”
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बीते हुए पल और अवसर में हमने क्या पाया क्या खोया आइए हम उस पर चिंतन करें,मनन करें।और चिंतन करने के बाद हम उन अवसरों और पल के बारे में सोंचे।जिन अवसर को हमने यूँ ही खो दिया।हमने उस अवसर को यूँ ही जाया कर दिया।इस पर भी हम भी चिंतन करें,की क्या हमने ठीक किया?क्या यह उचित था?तो हम यह पाएंगे कि हमने उस अवसर का गलत इस्तेमाल किया।और अपनी इस भूल को स्वीकार करते हुए आने वाले अवसर में इसे सुधार करने हेतु संकल्प ले लें की हम अब कुछ अच्छा करेंगे।अर्थात आने वाले इस नव अवसर का हम भरपूर सदुपयोग करेंगे।ताकि आने वाला हर एक पल हमारे लिए हमारे जीवन के लिए महत्वपूर्ण साबित हो।और हम एक मिशाल कायम कर सकें।
इस सम्बंध में एक कहावत याद आती है-
“बीती ताही बिसार दे-आगे की सुधि ले।”
अर्थात विगत को भूल कर आने वाले अवसर के बारे में दृढ़ संकल्पित हो जाये।और यह कमर कस लें कि हम कुछ अच्छा ही करेंगे।
हमारे जीवन मे जो भी गीले-शिकवे है उन्हें भुला दें। अच्छे कर्म करें समाज मे भाईचारा,सद्भावना और नैतिकता लाने का प्रयास करें।अपने लक्ष्य को निर्धारित करें।और उसे पाने के लिए भीड़ जाएं।
हमने क्या कुछ खोया,क्या कुछ पाया इसका चिंतन करते हुए आज ही संकल्प ले लें कि हम आने वाले नए अवसर और वर्षों में बहुत कुछ पाकर रहेंगे।और एक एक-पल का हम सदुपयोग करेंगे।तभी यह नव वर्ष का उत्सव सार्थक हो पाएगा।
स्वरचित रचनाकार-
अशोक पटेल”आशु”
तुस्मा,शिवरीनारायण(छ ग)