“विक्रम” उतरा चाँद पर
”विक्रम’ उतरा चाँद पर,
मगन है भारत देश।
चार चांद लगा वतन में,
गौरवान्वित परिवेश।
गौरवान्वित परिवेश,
‘प्रज्ञान’ आएगा बाहर।
परचम फहरा चाँद पर,
बात हूई जग जाहिर।
दुनिया जो न कर सकी,
कर दिया हिन्दुस्तान।
साउथ पोल पर सर्वप्रथम,
गड़ा तिरंग निशान।
युगों तक जग दुहरायेगा,
वैज्ञानिकों का काम।
प्रथम सफलता लिख दिया,
भारतवर्ष के नाम।
धरती माँ ने भेजा है,
चाँद ममा को भेंट।
प्रज्ञान चल पड़ा चन्द्रपथ,
अपनी मूंछें ऐंठ।
चन्द्र पटल कैसा बना,
जानेंगे भरपूर।
बात पुरानी हो गयी,
चंदा मामा दूर।
भूत भविष्य व आज में,
सदा रही है शान।
तभी तो सब कहते यही,
भारत देश महान।
महेनत सफल हुई सकल,
छ सौ करोड़ हुए दार।
इसरो ने दिया देश को,
एक अद्भुत उपहार।
बहुत बधाई देश को
“इसरो दल” को विशेष।
विक्रम उतरा चाँद पर,
मगन है भारत देश।
सतीश सृजन
23अगस्त23
18:05 बजे।