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9 Apr 2021 · 1 min read

विकास??????

विकास हेतु चुन लें चलो चुन लिया।
सब कहते हैं मुझे चुनो चुन लिया।।
पर ये तो बता किसका विकास?
विकास हैं ना उपहास?
बताओ विकास जनता का या खुद का?
वादे से पलट गए तो क्या होगा वजूद का?
जनता का अगर कहोगे , तो भगा दिए जाओगे।
अपनो का कहोगे तो सीने से ,लगा लिए जाओगे।
क्योंकि सच ही तो बोला है ,अपने मे तुम खुद के अपने हो।
जो साथ वाले हैं कुछ उनके हो वाकी सबके लिए सपने हो।
जनता ने पैसा खोजा ,तुमने भी वही किया।
वोट की कीमत दी तुमने ,वसूल करके सही किया।
वही जनता जब विकास खोजती है ।
वोट बेचकर विकास की आस खोजती है।
जनता विकासवादी रही कहाँ।
जिधर लाभ वो रही वहां।
प्रत्याशी में उसे रिश्ते दिखते हैं , अपना लाभ दिखता है ।
प्रत्याशी जॉनी लीवर हो तो ,उसे अमिताभ दिखता है।
खैर खाने पीने वाली चीजें तो बस बोनस है।
बहती गंगा में हाथ धोने वाले भी बोगस है।
काश विकास को कोई गहरी नींद से उठा पाए।
विकास है जरूरी ,प्रत्याशी और वोटर को याद आ जाये।
चलो माँ शारदे का ध्यान करें और उनका गुणगान करें।
माँ सबको सद्बुद्धि दें और बुराइयों का चालान करें।
विकास की कोरी कल्पना को छोड़ ,
अपने और खुद के विकास के लिए मतदान करें।
– सिद्धार्थ पाण्डेय

Language: Hindi
2 Comments · 223 Views
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