विकास का झाड़ू
****** विकास का झाड़ू *****
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जनता ने छोड़ दी गहरी छाप,
आपने आप को अपनाया आप।
पाँच दरियाओं की भू पंजाब,
धूल गए पार्टियों के सब पाप।
ढह गए किले पुराने मजबूत,
आई सुनामी निकल गई भांप।
बादल में छिप गए चाँद – तारे,
लड़ गए जिनके सीने पर सांप।
स्वास्थ्य – शिक्षा और बदलाव,
टूटा परिवारवाद राग अलाप।
हास्य कलाकार का चला जादू,
औंधे मुंह गिरे धुरंदर और खाप।
मनसीरत उठाई हाथ में झाड़ू,
किया सफाया करवाया विलाप।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)