विकल
मैं
तो सागर हूं,
हजारों नदियां
मुझ में गिर कर अपना आस्तिव
समाप्त कर लेना चाहती हैं!
फिर भी
मैं
‘विकल’
हूं…
और मुझे तलाश है एक ऐसी नदी की
जिसमें
मैं समा जाऊं…
मैं समा जाऊं…।।
—खूब सिंह ‘विकल’
मैं
तो सागर हूं,
हजारों नदियां
मुझ में गिर कर अपना आस्तिव
समाप्त कर लेना चाहती हैं!
फिर भी
मैं
‘विकल’
हूं…
और मुझे तलाश है एक ऐसी नदी की
जिसमें
मैं समा जाऊं…
मैं समा जाऊं…।।
—खूब सिंह ‘विकल’