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एक महाशय पान की दुकान पर आये,
इससे पहले कि दुकानदार पूछ पाए.
फटाफट पान लगाने की कही,
जिसे देख कर पान वाले की ‘कितने पान लगाऊं’ पूछने की हिम्मत भी ना रही.
जब महाशय खा चुके सात आठ पान,
दुकानदार ने बंद किया होना हैरान.
नाम पूछने के लिए दुकानदार ने पहली बार मुंह खोला,
पान चबाते चबाते साहब बोला …
भाई ! मेरा नाम तो मनोहर लाल है,
तुम्हें अगले पान का भी ख्याल है ?
२५-३० पान खा कर मनोहर लाल ने भुगतान किया,
दुकानदार को हैरान छोड़ कर अपना रास्ता लिया.
अगले दिन … दुकान खोल कर ज्यों ही पान वाले ने गर्दन घुमाई,
नज़र सामने से आते मनोहर लाल पर ही रुक पाई.
मनोहर लाल जी को आकर्षित करने के लिए,
आज का मुहूर्त अच्छा कर गुजरने के लिए.
प्रणाम महोदय, दुकानदार ने कहा, आइये,
बंदे को सेवा को मौका दीजिए, पान खाइए.
मनोहर लाल जी ने तपाक से कहा … देख नहीं रहे काम से जा रहा हूँ,
और आज तो मैं वैसे भी खाना खा कर आ रहा हूँ.